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बेटी मारोगे तो बहु कहाँ से लाओगे..... और यदि प्रतिभा मारोगे तो प्रगति कहाँ से लाओगे।


सरकारें बदलकर देख लिये
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बदलकर देख लिये
मंत्रियों के मंत्रालय बदलकर देख लिये
योजनाओं के नाम बदलकर देख लिये
शहरों के नाम बदलकर देख लिये
नोट बदलकर देख लिये
टैक्स सिस्टम बदलकर देख लिये
फिर भी क्या बदला........?
कुछ नहीं 🤔

एक बार
आरक्षण समाप्त कर के देख लो
विकास की गंगा बह निकलेगी



जैसे 30 वॉट का बल्ब 100 वॉट की रौशनी नहीं दे सकता, ठीक वैसे ही,
33% वाला व्यक्ति 99% की उत्पादकता कहाँ से दे देगा ?

इसी लिए आजादी के 70 साल बाद भी जहाँ हमारा विकास 90% हो जाना चाहिये था वहीं हमें 33% पर ही सब्र क्यों करना पड़ रहा है ?

याद रखें श्रीमन् प्रतिभा तो प्रतिभा है उसको आपके इस सड़े गले तंत्र से ना तो कभी अपेक्षा थी ना है और नाही भविष्य में होगी।
वह समस्त विश्व में अपना स्थान और अपना भविष्य खुद ही बनाने में सक्षम है, लेकिन दुख केवल इतना है कि जिस प्रतिभा को भारत ने पैदा किया वो प्रतिभा भारत के काम ना आकर अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस आदि देशों के काम आरही है, आरही थी और भविष्य में भी आती रहेगी।
हमारी प्रतिभाओं के दम पर ही आज ये देश दुनियां की सुपर पावर बने बैठे हैं। दुनियां के बड़े बड़े संस्थान आज भारतीय प्रतिभाओं के दम पर विश्व उत्पादकता में अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।

सरकारें कहती है.....
बेटी मारोगे तो बहु कहाँ से लाओगे।
सही बात है.....
लेकिन सरकारें ये क्यों नहीं सोचती हैं कि यदि
प्रतिभा मारोगे तो प्रगति कहाँ से लाओगे.....
यक्ष प्रश्न है, समय मिले तो चिंतन अवश्य करें।

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